Bible Reading | 01 May 2023 | बाइबल पाठ

पहला पाठ :प्रेरित-चरित 11:1-18

1) प्रेरितों तथा यहूदिया के भाइयों को यह पता चला कि गै़र-यदूदियों ने भी ईश्वर का वचन स्वीकार किया हैं।

2) जब पेत्रुस येरूसालेम पहुँचा, तो यहूदी विश्वासियों ने उसकी आलोचना करते हुए कहा,

3) “आपने गैर-यहूदियों के घर में प्रवेश किया और उनके साथ भोजन किया”।

4) इस पर पेत्रुस ने क्रम से सारी बातें समझाते हुए कहा,

5) “मैं योप्पे नगर में प्रार्थना करते समय आत्मा से आविष्ट हो गया। मैंने देखा कि लंबी-चैड़ी चादर-जैसी कोई चीज़ स्वर्ग से उतर रही है और उनके चारों कोने मेरे पास पृथ्वी पर रखे जा रहे हैं।

6) मैने उस पर दृष्टि गड़ा कर देखा कि उस में पृथ्वी के चैपाले, जंगली जानवर, रेंगने वाले जीव-जंतु और आकाश के पक्षी हैं।

7) मुझे एक वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ी ’पेत्रुस! उठो, मारो और खाओ।

8) मैंने कहा, ’प्रभु! कभी नहीं! मेरे मुँह में कभी कोई अपवित्र अथवा अशुद्ध वस्तु नहीं पड़ी।’

9) उत्तर में स्वर्ग से दूसरी बार यह वाणी सुनाई पड़ी, ’ईश्वर ने जिसे शुद्ध घोषित किया, तुम उसे अशुद्ध मत कहो’।

10) तीन बार ऐसा ही हुआ और इसके बाद वह चीज़ फिर स्वर्ग में ऊपर उठा ली गयी।

11) उसी समय कैसरिया से मेरे पास भेजे हुए तीन आदमी उस घर के सामने आ पहुँचे, जहाँ में ठहरा हुआ था

12) आत्मा ने मुझे आदेश दिया कि मैं बेखटके उनके साथ जाऊँ। ये छः भाई मेरे साथ हो लिये और हमने उस मनुष्य के घर में प्रवेश किया।

13) उसने हमें बताया कि उसने अपने यहाँ एक स्वर्गदूत को देखा, जिसमें उस से यह कहा, ’आदमियों को योप्पे भेजिए और सिमोन को, जो पेत्रुस कहलाते हैं, बुलाइए।

14) वह जो शिक्षा सुनायेगें उसके द्वारा आप को और आपके सारे परिवार को मुक्ति प्राप्त होगी।’

15) “मैंने बोलना आरंभ किया ही था कि पवित्र आत्मा उन लोगों पर उतरा जैसे की वह प्रारंभ में हम पर उतरा था

16) उस समय मुझे प्रभु का वह कथन याद आया- योहन जल का बपतिस्मा देता था, परन्तु तुम लोगों को पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दिया जायेगा।

17) जब ईश्वर ने उन्हें वही वरदान दिया, जो हमें, प्रभु ईसा मसीह में विश्वास करने वालों को, मिला है, तो मैं कौन था जो ईश्वर के विधान में बाधा डालता?”

18) ये बातें सुनकर वे शांत हो गये और उन्होंने यह कहते हुए ईश्वर की स्तुति की, “ईश्वर ने गैर-यहूदियों को भी यह वरदान दिया कि वे उसकी ओर अभिमुख हो कर जीवन प्राप्त करें”।

सुसमाचार : योहन 10:11-18

11) “भला गड़ेरिया मैं हूँ। भला गड़ेरिया अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण दे देता है।

12) मज़दूर, जो न गड़ेरिया है और न भेड़ों का मालिक, भेडि़ये को आते देख भेड़ों को छोड़ कर भाग जाता है और भेडि़या उन्हें लूट ले जाता है और तितर-बितर कर देता है।

13) मज़दूर भाग जाता है, क्योंकि वह तो मजदूर है और उसे भेड़ों की कोई चिन्ता नहीं।

14) “भला गडेरिया मैं हूँ। जिस तरह पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ, उसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं।

15) मैं भेड़ों के लिए अपना जीवन अर्पित करता हूँ।

16) मैरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं हैं। मुझे उन्हें भी ले आना है। वे भी मेरी आवाज सुनेंगी। तब एक ही झुण्ड होगा और एक ही गड़ेरिया।

17) पिता मुझे इसलिए प्यार करता है कि मैं अपना जीवन अर्पित करता हूँ; बाद में मैं उसे फिर ग्रहण करूँगा।

18) कोई मुझ से मेरा जीवन नहीं हर सकता; मैं स्वयं उसे अर्पित करता हूँ। मुझे अपना जीवन अर्पित करने और उसे फिर ग्रहण करने का अधिकार है। मुझे अपने पिता की ओर से यह आदेश मिला है।”

फ़ादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)

आज माता कलिसिया सभी श्रमिकों और मजदूरों के संरक्षक सन्त योसफ़ का पर्व मनाती है। सन्त योसफ न केवल संसार भर की कलिसिया के संरक्षक हैं, बल्कि संसार भर के श्रमिकों को भी प्रभु ने उनके संरक्षण में रखा है। सन्त योसफ़ में ऐसे कई गुण और विशेषताएं हैं जिनके कारण ईश्वर ने उन्हें हमारे मुक्तिदाता के संरक्षण एवं लालन-पालन के लिए सांसारिक पिता के रूप में चुना। उनके कुछ गुणों को हम भी अपने जीवन में अपना सकते हैं। उनका सबसे महान गुण था कि वे खामोशी से प्रभु की इच्छा और योजना को अपने जीवन में पूरा करने में लगे रहते थे, फिर भले ही शुरू में प्रभु की योजना उनकी समझ में नहीं आई हो (मत्ती 1:19)।

सन्त योसफ़ ने अपनी जिम्मेदारी को इतनी सादगी एवं विनम्रता से पूरा किया कि बाद में जब प्रभु येसु पुनः अपने नगर आते हैं तो लोग उनकी बातों में विश्वास नहीं करते। क्योंकि शायद जब प्रभु येसु अपने परिवार के साथ रहते थे तो लोगों ने उनमें कुछ भी असाधारण नहीं देखा, लेकिन अब प्रभु येसु की शिक्षाएं एवं चमत्कारपूर्ण कार्य उनके लिए असाधारण लगे। शायद ही उन्हें मालूम था कि उन असाधारण कार्यों की नींव प्रभु के भले और वफादार सेवक सन्त योसफ़ द्वारा रखी गई थी। हम भी उन्ही सन्त योसफ़ से प्रार्थना करें कि हम भी प्रभु के भले और वफादार सेवक बनें।

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